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History

खंडेलवाल दिवस कब क्यों केसे एवं कुलदेवी कुलदेवता का महत्व

​*@आप सभी इतिहास जानना चाहते हैं कि बसंत पंचमी का महत्व क्या है? हम सरस्वती की मूर्ति क्यों बनाते हैं*  @यह तो आप सभी जानते होंगे कि हमारा प्राचीन स्थान खंडेला है। @हमें से कई ने यह स्वीकार किया है कि खंडेलवाल के 3 हिस्से बंटे हुए हैं। वेश्य ब्राह्मण और जैन  @और जिन्होंने उनके साथ काम किया, उन्होंने उसी तरह से बंटवारा कर दिया,  @आप सभी को यह भी स्वीकार करना होगा कि हम बसंत पंचमी को खंडेलवाल दिवस मनाते हैं, यह इतिहास किसी को नहीं पता। यदि हम खंडेलवाल ब्राह्मण का इतिहास खोजेंगे तो वह कुछ तथ्य स्पष्ट रूप से देखेंगे, गूगल पर हमें खंडेलवाल के जन्म का इतिहास उपलब्ध है, उसके कुछ अंश दे रहे हैं  @तकनीकी विकास समिति ने पिछले 3 से 4 साल तक लगातार यह प्रयास किया खंडेलवाल की उत्पत्ति इतिहास पता चला 1 फरवरी को सभी किताबों का अद्ययन और लाइब्रेरी में यह घोषणा की गई कि जो खंडेलवाल दिवस की जानकारी उसे रु 11000 का पूरक दिया जाएगा। @इस संबंध में श्रीमती अंजू खंडेलवाल ने  @25 फरवरी को उनके अंश भी भेजे जा रहे हैं, इस राशि संस्था ने उन्हें फिर से तैयार करने का  @प्रयास  @किया है। कश्यप ने परशुराम को सुचित किया कि मधुचन्दादि ऋषि यज्ञ की दक्षिणा लेने को तैयार है। उस समय परशुराम के पास एक सोने की वेदियाँ छोड़ कर कुछ नहीं बचा था। वे अपना सर्वस्व दान में दे चुके थे। उस वेद के सात खंड टुकड़े टुकड़े देखें। फिर सातों खण्डों के सात सात खण्ड 1 x 7 = 7 x 7 = 49 कर प्रत्येक ऋषि को एक खण्ड दिया गया। @इस प्रकार सुवर्ण-वेदी के उनचास खंड उनचास ऋषियों को मिल गए, बुरा मानसोत्पन्न मधुछन्दादि ऋषियों की संख्या में देवता थे। इसलिए एक ऋषि को समर्पण के लिए कुछ न बचा तो सभी ऋषि चिंतित हो गए। उसी समय आकाशवाणी द्वारा आदेश मिला कि तुम लोग चिंता मत करो। यह ऋषि इनचास का पूज्य होगा। इन उनचास कुलों में श्रेष्ठ कुल होगा। @इस प्रकार यज्ञ की दक्षिणा में यज्ञ की ही सोने की वेदी के खंड ग्रहण करने से मानसोत्पन्न मधुछंदादि ऋषियों का नाम खंडाल या खंडाल पड़ गया। ये ही मधुचन्द्रादि ऋषि खाण्डलविप्र या खण्डेलवाल ब्राह्मण जाति के प्रवर्तक थे। इन्ही की सनातन भविष्य में खाण्डलविप्र या खण्डेलवाल ब्राह्मण जाति के नाम से प्रसिद्ध हुई।

कुलदेवी/देवता की पूजा क्यू करना चाहीये
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हिन्दू पारिवारिक आराध्य व्यवस्था में कुल देवता/कुलदेवी का स्थान सदैव से रहा है ,,प्रत्येक हिन्दू परिवार किसी न किसी ऋषि के वंशज हैं जिनसे उनके गोत्र वंश का पता चलता है ,बाद में कर्मानुसार इनका विभाजन वर्णों में हो गया विभिन्न कर्म करने के लिए ,जो बाद में उनकी विशिष्टता बन गया और जाती कहा जाने लगा ,,पूर्व के हमारे कुलों अर्थात पूर्वजों के खानदान के वरिष्ठों ने अपने लिए उपयुक्त कुल देवता अथवा कुलदेवी का चुनाव कर उन्हें पूजित करना शुरू किया था ,ताकि एक आध्यात्मिक और पारलौकिक शक्ति कुलों की रक्षा करती रहे जिससे उनकी नकारात्मक शक्तियों/उर्जाओं और वायव्य बाधाओं से रक्षा होती रहे तथा वे निर्विघ्न अपने कर्म पथ पर अग्रसर रह उन्नति करते रहे | 
मध्यकाल में आई चुनोतियों से अनेक परिवारो में इनकी जानकारी /इतिहास अनेक को ज्ञात नही रहा और हम अपना मूल भूल गए ।
परिणाम सुरक्षा चक्र टूटने से  परिवार में दुर्घटनाओं ,नकारात्मक ऊर्जा ,वायव्य बाधाओं,आपसी विवाद, मनुमुटाव  का बेरोक-टोक प्रवेश शुरू हो जाता है ,उन्नति रुकने लगती है ,पीढ़िया अपेक्षित उन्नति नहीं कर पाती ,संस्कारों का क्षय ,नैतिक पतन ,कलह, उपद्रव ,अशांति शुरू हो जाती हैं ,व्यक्ति कारण खोजने का प्रयास करता है कारण जल्दी नहीं पता चलता क्योकि व्यक्ति की ग्रह स्थितियों से इनका बहुत मतलब नहीं होता है 
कुल देवता या देवी हमारे वह सुरक्षा आवरण हैं जो किसी भी बाहरी बाधा ,नकारात्मक ऊर्जा के परिवार में अथवा व्यक्ति पर प्रवेश से पहले सर्वप्रथम उससे संघर्ष करते हैं और उसे रोकते हैं , ,,यदि इन्हें पूजा नहीं मिल रही होती है तो यह नाराज भी हो सकते हैं और निर्लिप्त भी हो सकते हैं ,,ऐसे में व्यक्ति  किसी भी ईष्ट/भगवान  की आराधना करे वह उस  तक नहीं पहुँचता ,क्योकि सेतु कार्य करना बंद कर देता है ,,
कुलदेवता या देवी सम्बंधित व्यक्ति के पारिवारिक संस्कारों के प्रति संवेदनशील होते हैं और पूजा पद्धति ,उलटफेर ,विधर्मीय क्रियाओं अथवा पूजाओं से रुष्ट हो सकते हैं ,सामान्यतया इनकी पूजा वर्ष में एक बार अथवा दो बार निश्चित समय पर होती है ,यह परिवार के अनुसार भिन्न समय होता है और भिन्न विशिष्ट पद्धति होती है ,,शादी-विवाह-संतानोत्पत्ति आदि होने पर इन्हें विशिष्ट पूजाएँ भी दी जाती हैं ,,,यदि यह सब बंद हो जाए तो या तो यह नाराज होते हैं या कोई मतलब न रख मूकदर्शक हो जाते हैं और परिवार बिना किसी सुरक्षा आवरण के पारलौकिक शक्तियों के लिए खुल जाता है ,परिवार में विभिन्न तरह की परेशानियां शुरू हो जाती हैं ,,अतः प्रत्येक व्यक्ति और परिवार को अपने कुल देवता या देवी को जानना चाहिए तथा यथायोग्य उन्हें पूजा प्रदान करनी चाहिए, जिससे परिवार की सुरक्षा -उन्नति होती रहे।

कैसे जाने कौन हैं आपके कुलदेवता /देवी 
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आज के समय में बहुतायत में पाया जा रहा है की लोगों को अपने कुलदेवता/देवी का पता ही नहीं है वर्षों से कुलदेवता/देवी को पूजा नहीं मिल रही है। घर-परिवार का सुरक्षात्मक आवरण समाप्त हो जाने से अनेकानेक समस्याएं अनायास घेर रही हैं नकारात्मक उर्जाओं की आवाजाही बेरिक टोक हो रही है। वर्षों से स्थान परिवर्तन के कारण पता ही नहीं है की हमारे कुलदेवता/देवी कौन है कैसे उनकी पूजा होती है कब उनकी पूजा होती है आदि आदि। इस हेतु एक प्रभावी प्रयोग है जिससे यह जाना जा सकता है की आपके कुलदेवता कौन है। यह एक साधारण किन्तु प्रभावी प्रयोग है जिससे आप अपने कुलदेवता अथवा देवी को जान सकते हैं।
प्रयोग को मंगलवार से शुरू करें और ११ मंगलवार तक करते रहें। मंगलवार को सुबह स्नान आदि से स्वच्छ पवित्र हो अपने देवी देवता की पूजा करें फिर एक साबुत सुपारी लेकर उसे अपना कुलदेवता/देवी मानकर स्नान आदि करवाकर ,उस पर मौली लपेटकर किसी पात्र में स्थापित करें इसके बाद आप अपनी भाषा में उनसे अनुरोध करें की "हे कुल देवता में आपको  जानना चाहता हूँ ,मेरे परिवार से आपका विस्मरण हो गया है ,हमारी गलतियों को क्षमा करते हुए हमें अपनी जानकारी दें ,इस हेतु में आपका यहाँ आह्वान करता हूँ ,आप यहाँ स्थान ग्रहण करें और मेरी पूजा ग्रहण करते हुए अपने बारे में हमें बताएं |इसके बाद उस सुपारी का पंचोपचार पूजन करें। अब रोज रात को उस सुपारी से प्रार्थना करें की हे कुल्द्वता/देवी में आपको जानना चाहता हूँ ,कृपा कर स्वप्न में मार्गदर्शन दीजिये फिर सुपारी को तकिये के नीचे रखकर सो जाइए सुबह उठाकर पुनः उसे पूजा स्थान पर स्थापित कर पंचोपचार पूजन करें। यह क्रम प्रथम मंगलवार से ११ मंगलवार तक जारी रखें हर मंगलवार को व्रत रखें इस अवधि के दौरान शुद्धता का विशेष ध्यान रखें ,यहाँ तक की बिस्तर और सोने का स्थान तक शुद्ध और पवित्र रखें ब्रह्मचर्य का पालन करें और मांस-मदिरा से पूर्ण परहेज रखें। इस प्रयोग की अवधि के अन्दर आपको स्वप्न में आपके कुलदेवता/देवी की जानकारी मिल जायेगी। अगर खुद न समझ सकें तो योग्य जानकार से स्वप्न विश्लेषण करवाकर जान सकते हैं। इस तरह वर्षों से भूली हुई कुलदेवता की समस्या हल हो जाएगी और पूजा देने पर आपके परिवार की बहुत सी समस्याएं समाप्त हो जायेंगी।
*कुलदेवी या देवता को इन उपायों से मनाएं और संकटों से मुक्ति

1. जन्म, विवाह आदि मांगलिक कार्यों में कुलदेवी या देवताओं के स्थान पर जाकर उनकी पूजा की जाती है या उनके नाम से स्तुति की जाती है। कुलदेवी की कृपा का अर्थ होता है सौ सुनार की एक लोहार की। बिना कुलदेवी कृपा के किसी के कुल का वंश ही क्या कोई नाम, यश आगे बढ़ नहीं सकता। अत: कुल देवी और देवता के लिए प्रतिदिन सुबह और शाम को भोग निकालें और उनके नाम का उच्चारण करें। नाम नहीं याद हो तो स्थान का उच्चारण करें। । स्थान का नाम भी नहीं मालूम हो तो तो हे माता कुलदेवी और कुलदेवता आपकी सदा विजयी हो। दुर्गा माता की जय, भैरू महाराज की जय।

2. एक ऐसा भी दिन होता है जबकि संबंधित कुल के लोग अपने देवी और देवता के स्थान पर इकट्ठा होते हैं। जिन लोगों को अपने कुलदेवी और देवता के बारे में नहीं मालूम है या जो भूल गए हैं, वे अपने कुल की शाखा और जड़ों से कट गए हैं। कुलदेवी या कुल देवता के स्थान से आपके पूर्वजों का पता लगता है। जिसे यह नहीं याद है वे भैरू महाराज और दुर्गा माता के मंदिर में जाकर उनके नाम का भोज चढ़ाएं और पूजा करें।

3. कुल देवी या देवता के स्थान पर जाकर एक साबूत नींबू लें और उसको अपने उपर से 21 बार वार कर उसे दो भागों में काटकर एक भाग को दूसरे भाग की दिशा में और दूसरे भाग को पहले भाग की दिशा में फेंक दें। इसके बाद कुलदेवी या देवता से क्षमा मांग कर वहां अच्छे से पूजा पाठ करें या करवाएं और सभी को दान-दक्षिणा दें।

4. कुलदेवता की पूजा करते समय शुद्ध देसी घी का दीया, धूप, अगरबत्ती, चंदन और कपूर जलाना चाहिए साथ ही प्रसाद स्वरूप भोग भी लगाना चाहिए। कुलदेवता को चंदन और चावल का टीका अर्पण करते समय ध्यान रखें की टूटे हुए या खंडित चावल ना हो। कुलदेवता को हल्दी में लिपटे पीले चावल पानी में भिगोकर अर्पण करना शुभ माना जाता है। पूजा के समय पान के पत्ते का बहुत महत्व है जिसके साथ सुपारी, लौंग, इलायची और गुलकंद भी अर्पण करना चाहिए। कुलदेवी या देवता को पुष्प चढ़ाते हुए आपको इन्हें पानी में अच्छी तरह से धोना चाहिए। सभी देवी-देवताओं की पूजा जिस तरह सुबह-शाम की जाती है, उसी तरह कुलदेवी और देवता की पूजा भी दीपक जलाकर करनी चाहिए

 @सादर  @डॉ. अशोक खंडेलवाल चिकित्सा संसार  
9399008071